मैंने कई बार की प्रार्थनापर ईश्वर सेमाँगा नहीं कभी कुछमुझे लगता हैवो जानता है...हमारे लिए क्या सही हैऔर क्या ग़लत..
हमारी ही तमन्ना क्यों करो तुम,तुम्हारी ही तमन्ना क्यों करे हम lनहीं परवाह दुनिया को हमारी,दुनिया की परवाह क्यों करें हम l
अब ज़िंदगी तेरे दिल में गुजारनी है,तो मुझे ये गुनाह भी कबूल है,सज़ा साल, दो साल का मत रखनाताउम्र ही मेरी मोह्हबत का मूल है l
Pyar Bhari shayari
वो गले से लिपट के सोते हैं
आज-कल गर्मियाँ हैं जाड़ों में
क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़
जान का रोग है बला है इश्क़