ए माँ मेरी गुनाहों को
मेरे मैं कुबूल करता हूँ
मोक्ष दे दे मेरी माँ |
सजा हे दरबार, एक ज्योति जगमगाई है,
सुना हे नवरात्रि का त्योहार आया हैं,
वो देखो मंदिर में मेरी माता मुस्करायी है…
मैं मैं ना रहा
तू तू ना रहा
सब अपने हो गए
माँ की नज़रों में जो देखा
सब सपने सच हो गए
बस यही आशा रखता हूँ |
“माँ” की “आराधना” का ये “पर्व” है,
_माँ की “9 रूपों की भक्ति” का ये पर्व है,
बिगड़े काम बनाने_का ये पर्व है,
“भक्ति” का “दिया_दिल_में_जलाने” का पर्व है…नवरात्रि…शुभ नवरात्रि..!
लाल रंग की चुनरी से सजा माँ का दरबार,
हर्षित हुआ मन, पुलकित हुआ संसार,
नन्हें-नन्हें क़दमों से माँ आए आपके द्वार…..
इस नवरात्रि यही हैं हमारी दुआ…
“जय माता दी”
हे माँ तुमसे विश्वास ना उठने देना,
तेरी दुनिया में भय से जब सिमट जाऊं,
चारो ओर अँधेरा ही अँधेरा घना पाऊं,
बन के रोशनी तुम राह दिखा देना..!