मेरे गीत सुने दुनिया वालों ने
मगर मेरा दर्द कोई ना जान सका,
एक तेरा सहारा था दिल को,
तू भी ना मुझे पहचान सका…
खेलती है ज़िन्दगी से मौत की है ये अदा, मौत के आगोश में है ज़िन्दगी रहती सदा!
कुछ आँसुओ कोगिरकर बिखरने का भी अधिकार नही होता,वो तो आँखों मे ही सूख जाते हैं।
ओझिल जो हुआ , वो एक पल के लिएभरी महफ़िल में, मैं अकेला हुआ lबात कुछ भी, किसी से हुई,मन तलाशता हर ओर, ऐसा मेला हुआ l
ज़िंदगी चाहे
जितना उलझायेगी,
तुम थामे रहना
डोर मजबूती से,
मैं दूसरा छोर
ढूंढ लाऊँगा l
काश कोई अपना संभाल ले मुझको,
बहुत कम बचा हूँ बिल्कुल दिसम्बर की तरह।