अकेलेपन से सीखी है, पर बात सच्ची है,
दिखावे को नजदीकियों से, हकीकत की दूरी अच्छी है.
निगाहें नाज करती है फलक के आशियाने से,खुदा भी रूठ जाता है किसी का दिल दुखाने से।
वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे,हमारी तन्हाइयों से भी आँख चुराते रहे,हमें ही मिल गया खिताब-ए-बेवफा क्योंकि,हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
बहुत दूर है तुम्हारे घर से हमारे घर का किनारा,पर हम हवा के हर झोंके से पूछ लेते हैं क्या हाल है तुम्हारा।
आज हम उनको बेवफा बताकर आए है,उनके खतो को पानी में बहाकर आए है,कोई निकाल न ले उन्हें पानी से..इस लिए पानी में भी आग लगा कर आए है।