वक़्त पर न जा क्योंकि वक़्त तो हर जख्म की दवा है…
आज तुमने हमें भुला दिया कल तम्हें कोई और भुला देगा…
काश ! कोई इस रात की शहर रोक लेता ,काश ! आज कोई मुझे अपने घर रोक लेता l
आज ना पूछो मुझसे मेरी उदासी का सबब,बस सीने से लगा कर मुझे रूला दे कोई।
कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी,कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा।
मेरी यादों में आती रही रात भर,सोते -सोते जगाती रही रात भर lकहता किससे और किससे मैं क्या बोलता,प्यार से वो रुलाती रही रात भर l
थोड़ा संभल कर चलते है,थोड़ा लापरवाह हो जाते है,डरते थे जिस राह, जाने में,उसी सफ़र में खो जाते है l