स्त्री के आँसू अंधेरे में भी दिखते हैं,मगर पुरूष के आँसू उसके तकिये को भी नहीं दिखाई देते ।
कोई तुमसे सीखे.....मौजूद रहना मुझ में !!
चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैंउन सारी जगहों परजहाँ बोलना ज़रूरी था!
नज़र में उसकी नज़र छोड़ आया,बंद ख़्वाबों को सहर तक छोड़ आया lपलक खुलती तो ना जाने क्या होता,जाने कहाँ मैं ये मन छोड़ आया l
मुझे नशे के लिए शराब नहीं चाहिए,बस तेरा आँखों में डूबना ही काफी है lअब दिन-रात बहका फिरता हूँ नशे में,मोह्हबत में यूँ डूबना ही काफी है l
"बात किसी से भी हो, बातों में तुम ही होती हो,राह कोई भी हो, हमसफ़र तुम ही होते हो,खुद से भी बातें करता हूँ, हर पल तुम्हारी,सो जाऊँ तो भी , ख़्वाबों में तुम ही होती हो l"