ज़िंदगी जब देती हैं तो एहसान नहीं करती
और जब लेती हैं तब लिहाज नहीं करती,
दुनिया में दो पौधे ऐसे हैं जो मुरझाते नहीं हैं,
और अगर मुरझा गए तो उनका कोई इलाज़ नहीं होता.
पहला- निःस्वर्थ प्रेम
दूसरा- अटूट विशवास
सुप्रभात
पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैंज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं
मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर मेंमगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं
बंदा नहीं है कोई टक्कर
का आज की तारीख में,
इसीलिए लफ्ज कम पड़
जाते है हमारी तारीफ़ में..!!
Na Pocho Ke Meri Manjil Kaha Hai
Abhi To Safar Ka Irada Kiya Hai
Na Haronga Hosla Umar Bhar
Ye Mene Kisi se nahi khud se vadha kiya hai…
Main Chahta Hun Aik Aasiyana HoJo Wabasta Sirf Tum Se Ho