चेहरे पर हंसी छा जाती हैं,
आँखों में सुरूर आ जाता हैं,
जब तुम मुझे अपना कहते हो,
मुझे खुद पर गुरूर आ जाता हैं
इत्तेफाक से तो नहीं,
हम दोनों टकराये
कुछ तो साजिश
खुदा की भी होगी
इकरार में शब्दों की एहमियत नही होती,दिल के जज़बात की आवाज़ नही होती,आँखें बयान कर देती हैं दिल की दास्तान,मोहब्बत लफज़ो की मोहताज़ नही होती!
इतने हसीं चेहरे को देख कर चाँद भी सरमा गया,
आया मेरे पास और चुपके से फार्मा गया,
की जा रहा हु मैं छुपाने को अपनी ये खूबसूरती,
क्यों की मुझ से भी हसीन कोई आया और इस जहां पर छा गया
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है