तेरी नज़रों से ओझल हो जायेंगे हम ,दूर फ़िज़ाओं में कहीं खो जायेंगे हम ,हमारी यादों से लिपट कर रोते रहोगे ,जब ज़मीन की मट्टी में सो जायेंगे हम..
बहुत दूर है तुम्हारे घर से हमारे घर का किनारा,पर हम हवा के हर झोंके से पूछ लेते हैं क्या हाल है तुम्हारा।
खुद में भी तलाश किया लोगों से भी पूछा तेरे दूर जाने की वजह आज तक नहीं मिली…
चलो यूँ ही सही तुमने माना तो सही
मजबूर कही हम थे ये जाना तो सही
कब कहा हमने की हम बेगुनाह थे
कुछ गुनहगार तुम भी थे ये माना तो सही
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।