कुछ पल बैठा करो बुजुर्गो के पास, हर चीज़ गूगल पर नहीं मिलती|
चलती हुई “कहानियों” के जवाब तो बहुत है मेरे पास ….लेकिन खत्म हुए “किस्सों” की खामोशी ही बेहतर है.
बहोत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..
बिना कुछ किये ज़िन्दगी गुज़ार देने से कहीं अच्छा है
ज़िन्दगी को गलतियां करते गुज़ार देना
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए|