हमें ख़बर है मोहब्बत के सब ठिकानों की….
शरीक-ए-जुर्म ना होते तो शायद मुखबरी करते!
लौटा जब वो बिना जुर्म की सजा काटकर,
सारे परिन्दें रिहा कर दिए उसने घर आकर.
उनकी पलकों से शुरू हुयी दास्तान-ए-मुहब्बत,
जिनका झुकना भी क़यामत, जिनका उठना ही क़यामत. .!!
होठ तो खामोश रहेंगे वादा है मेरा आपसे।
निगाहें अगर कुछ कह बैठे तो,
खफा मत हो जाना।
💜
तड़प रहे है हम तुमसे एक अल्फाज के लिए,तोड़ दो खामोशी हमें जिन्दा रखने के लिए।
ख़फ़ा हो, गुस्सा हो और नाराज़ भी होचलो ! कोई बात नहीं,गलती मेरी है मना लूँगा lचली भी गई ग़र जो मुझे छोड़कर,ये वादा है बेवफा का इल्ज़ाम ना दूँगा l