सोचा था हर दर्द बताएंगेतुमसे मिलकरतुमने तो इतना भी नही पूछा कितुम खामोश क्यों हो…
मुझे फुर्सत कहां, कि मैं मौसम सुहाना देखूं…तेरी यादों से निकलूं, तब तो जमाना देखूं..!
मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
तेरी खामोशी, अगर तेरी मजबूरी है,तो रहने दे इश्क कौन सा जरूरी है.
मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी हैं और शोर भी हैं,तूने गौर से नहीं देखा, इन आखों में कुछ और भी हैं.
दोस्त की ख़ामोशी को मैं समझ नहीं पाया,चेहरे पर मुस्कान रखी और अकेले में आंसू बहाया।