शिकायत तों मुझे खुद से है,
तुझसे तो आज भी इश्क है !
उसके अन्दाजे इश्क से,लोग पागल हो जाते है lएक हम है जो नखरे पर,हर बार कायल हो जाते है l
एक तुम ही मिल जाते बस इतना काफ़ी था,सारी दुनिया के तलबगार नहीं थे हम।
साँसो के रोकने से धड़कने रूकती नहीं,एक साथ चाहिए तेरा,ये सफ़र अकेले कटता नहीं lकैसे कहूँ कितनी मोह्हबत है,लफ्ज़ कम पड़ जाते है l
"खुशी में,महीनों की दूरी भी सह जाते है,नाराजगीं में, एक पल भी ना काट पाते है l"
जब चलना अपने पैरो पर है ,
तो औरों पे भरोसा क्यों ?