जब भी कोई करता है तारीफ,मैं अन्दर से थोड़ा डर जाता हूँ lये एक बोझ सा लगता है कभी,ना जाने कितनी बार झूठ भी कह जाता हूँ l
उसके अन्दाजे इश्क से,लोग पागल हो जाते है lएक हम है जो नखरे पर,हर बार कायल हो जाते है l
एक तुम ही मिल जाते बस इतना काफ़ी था,सारी दुनिया के तलबगार नहीं थे हम।
"जब कोई पूछता है, 'प्यार समझते हो ',लबों पे तुम्हारा नाम आते-आते रह जाता है l"
"खुशी में,महीनों की दूरी भी सह जाते है,नाराजगीं में, एक पल भी ना काट पाते है l"