हमें ख़बर है मोहब्बत के सब ठिकानों की….
शरीक-ए-जुर्म ना होते तो शायद मुखबरी करते!
लौटा जब वो बिना जुर्म की सजा काटकर,
सारे परिन्दें रिहा कर दिए उसने घर आकर.
टिक टिक करते घड़ियों के कांटे,
उम्र ढल रही मेरी बताते रहते है…
सपनो की दुनिया को कह दें बाय-बायहुई है सुबह चलो सब जाग जाएं…सूरज को करें वेलकम…..तैयार हो जाएं…चलो इस दिन की खुशियाँ मनाएं!Good Morning
ऐ सुबह तू जब भी आना ….शीयों की सौगात अपने संग लानामिट जाए रात काली गम की…रंग जीवन में सबके कोई ऐसा जमानासुप्रभात – शुभदिन
"कभी बैठो, किसी सुबह,तो तुम्हें बताते है..प्याली से उठते भाप से,तुम्हारा नाम लिख जाते है l"