जी चाहे कि दुनिया की हर एक फ़िक्र भुला कर,दिल की बातें सुनाऊं तुझे मैं पास बिठाकर।
" हम ता-उम्र एक दूसरे जैसे नहीं है,ये कह के आपस में लड़ते रहे..कितना अच्छा होता,तुम मेरी कमी,मैं तुम्हारी कमी पूरा कर देता l "
कब तक उसे सोचूंगा, कब तक गाऊंगा,ये मुमकिन हो,वो मेरी हो जाए तो क्या होगा,उसकी याद में पिघलता हूँ, वैसे ही रात भर,नींद से जागूंगा तो, आगोश में सो जाऊँगा l
मेरे रोने का जिस में क़िस्सा हैउम्र का बेहतरीन हिस्सा है
वो गई कुछ इस तरह,छोड़ के,इंतज़ार करता रहा, हर मोड़ पे l