स्त्री के आँसू अंधेरे में भी दिखते हैं,मगर पुरूष के आँसू उसके तकिये को भी नहीं दिखाई देते ।
"एक बटन के फासले पे ज़िंदगी थी,किसी से पहले पर दबाया ना गया lमिट जाते सारे दिलों के फासले 'जाना',इश्क़ में अहं को भुलाया ना गया l"
चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैंउन सारी जगहों परजहाँ बोलना ज़रूरी था!
ऐसे उसका ख़त कई बार पढ़ता हूँ,जैसे मैं इश्क़ की गली से गुजरता हूँ lहर बार रुकता हूँ उसी शब्द पे,जो बताता की, मैं उसके दिल में रहता हूँ l
खोज के बाहर तुमको,
हार गया हूँ मैं,
झाँका जब मन भीतर,
वंही बैठी थी तुम l
उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।