उसकी आँखें सवाल करती हैंमेरी हिम्मत जवाब देती है
उसकी आँखें सवाल करती हैं
मेरी हिम्मत जवाब देती है
आज कल वो हमसे डिजिटल नफरत करते हैं,
हमें ऑनलाइन देखते ही ऑफलाइन हो जाते हैं..
मुट्ठी भर ख़्वाब मेरा,खुला पूरा आसमान तेरा lमैं चाँद तेरा हो सकता नहीं,तू बादल बन बरस सकता नहीं l
"वो आयी नहीं वक़्त पे,एक याद बेवक़्त आती है l"
ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोच कर गुज़ार दी……
Mujhe mere Kal ki Fikar Aaj bhi nahi hai..
Par Khuwahish tO tujhe Paane ki Qayamat tak rahegi..