“बन के इक हादसा बाजार में आ जाएगा, जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं, कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा…”
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे
जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे
फिक्र तो तेरी आज भी करते है..
बस जिक्र करना छोड दिया !
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में,ज़्यादा भीगना मत
अगर धुल गयी सारी ग़लतफ़हमियाँ,तो बहुत याद आएँगे हम!!
तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके
दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके
एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके