“बन के इक हादसा बाजार में आ जाएगा, जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं, कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा…”
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
फिक्र तो तेरी आज भी करते है..
बस जिक्र करना छोड दिया !
किसने दस्तक दी ये दिल पर कौन है
आप तो अंदर है फिर बाहर कौन है..
तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके
दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके
एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके