मै उसको चाँद कह दू ये मुमकिन तो है,मगर… लोग उसे रात भर देखें ये मुझे गवारा नहीं
कितना रोया था मैं तेरी खातिर
अब सोचता हूँ तो हंसी आती है ..
"मुह पर जो लोग हमारी वाह वाह करते हैं llपीठ के पीछे वही लोग हाय हाय करते हैं ll"
औऱ फ़िर बिछड़ कर ये तो होना ही था ।अब समन्दर जितनी प्यास लिए फ़िरते हैं दोनों ।।
अब तो इश्क़ भी हम दोनों पर तरस नहीं खाता...अब वो मेरे शहर नहीं आती और मैं उसके शहर नहीं जाता..
माँ की सी मुझे नज़र दे ऐ खुदाकि ज़माना मुझे फिर बुरा न लगे।