"मुह पर जो लोग हमारी वाह वाह करते हैं llपीठ के पीछे वही लोग हाय हाय करते हैं ll"
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला,ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
“अपनों को याद करना प्यार हैं,
गैरों का साथ देना संस्कार हैं,
दुश्मनो को माफ करना उपकार हैं,
और आप जैसे दोस्तों को परेसान करना जन्मसिद्ध अधिकार हैं.”
हर बात में आंसू बहाया नहीं करते,दिल की बात हर किसी को बताया नहीं करते,लोग मुट्ठी में नमक लेके घूमते है..दिल के जख्म हर किसी को दिखाया नहीं करते।
बर्बाद कर दिया मुझे,
तेरी इन मस्त निगाहों ने,
सौ साल जी लेते,
अगर दीदार-ऐ-हुस्न तेरा ना किया होता…