सुख की खोज

Searching for happiness moral story

काशी में एक राजा राज्य करता था. उसके पास अथाह धन सम्पत्ति थी, सुख सुविधाओं से भरा पूरा परिवार था लेकिन वो हमेशा बेचैन रहता था. हमेशा उदासी में जीता था. जिसकी वजह से उसका मन काम में नहीं लगता था. एक दिन उसके राज्य में एक साधु महात्मा आये. 

राजा ने उनका खूब स्वागत सत्कार किया. साधु भी राजा के सेवा-सत्कार से खूब प्रसन्न हुए. अगले दिन जब वो जाने लग तब उन्होंने देखा की राजा तो खूब चिंता में डूबा हुआ था. ऐसा देखकर उन्होंने राजा से कहा, हे राजन तुम्हारे पास सब कुछ है लेकिन फिर भी तुम्हारे चेहरे पर ये उदासी क्यों? राजा ने कहा, महात्मा ये तो ,मेरी चिंता का विषय है कि नगर का राजा होने के बावजूद भी मैं सुखी क्यों नहीं हूँ? साधु ने राजा की समस्या समझ ली और उन्होंने उससे कहा, राजन तुम एक काम करो, अपने राज्य के सबसे सुखी आदमी के को एक दिन अपने महल में बुलाओ और उसकी कमीज़ उससे लेकर तुम पहन लेना. इसके बाद तुम्हारी उदासी समाप्त हो जाएगी. तुम सुखी हो जाओगे. राजा ने साधु की बात मान ली. अगले दिन से राजा के सिपाही पूरे नगर में सुखी आदमी की खोज करने लगे. कई घरों पर गए, न जाने कितने लोगों से मिलें लेकिन उन्हें एक भी सुखी आदमी नहीं मिला. हर कोई किसी न किसी वस्तु या कारण से दुखी था. सिपाही परेशान हो गए, शाम को थक हार कर जब वो महल की तरफ रवाना हो रहे थे तब उन्होंने रास्ते में एक भिखारी दिखाई दिया. वो बहुत ही खुश दिख रहा था, और गाना गए रहा था. सिपाहियों ने उसे ही ले जाकर राजा के सामने खड़ा कर दिया. राजा ने जब उस भिखारी को देखा तब वो हैरान हो गए. फिर उन्होंने उससे कहा, अच्छा तो तुम सुखी हो? लेकिन तुम्हारी हालत तो एकदम भिखारी के जैसे है. तो तुम सुखी कैसे हो? भिखारी ने बताया, महाराज मैं इसलिए सुखी हूँ क्योंकि इस संसार में जहाँ आज हर को पैसों और भौतिक चीज़ों में सुखी ढूंढ रहा है वहीं मैं हूँ कि हर एक पल को ख़ुशी के साथ उसका आनंद लेकर जी रहा हूँ. मुझे किसी भी प्रकार की संपत्ति या धन को कोई लोभ नहीं है, जो मिल जाता है वो खा लेता हूँ और मैं मस्ती के साथ अपना जीवन सुखपूर्वक जी रहा है. अब राजा को साधु के कहे गए शब्दों का असली मतलब समझ आ गया, उसने उस भिखारी को कुछ धन और अच्छे वस्त्र देकर विदा कर दिया. इसके बाद से उस राजा की आँख खुल गई और उसने जीवन को एक नए नज़रिये से देखना शुरू किया. जो भौतिक सुखों, धन-संपत्ति से बिलकुल अलग थी. राजा अब बहुत ही सुखपूर्वक अपने राज्य में राज करने लगा साथ ही साथ उसने ये कहानी सबसे साझा की ताकि उसके नगर के लोग भी भौतिक वस्तुओं से हटकर असली सुख का आनंद ले सके.