भगवान शिव के 19 अवतार कौन-कौन है?

भगवान शिव के 19 अवतार कौन-कौन है?

हम सभी इस  बात से भलीभाँति परचित है कि जब भी अधर्म बढ़ता है तब स्वयं श्रीहरि विष्णु धरती पर अवतार लेते है और इस तरह से भगवान विष्णु के दस अवतरों के बारे में हर कोई जानता है लेकिन क्या आपको पता है, देवों के देव महादेव ने भी समय-समय पर सृष्टि के उद्धार के लिए इस भूमि पर अलग-अलग रूपों में अवतार लिया है? बहुत कम लोगों को भगवान शिव के इन सभी अवतारों की जानकारी होगी.

शिवमहापुराण के अनुसार भगवान शिव के इन सभी 19 अवतारों के पीछे कोई न कोई उचित कारण था, जिसकी वजह से उन्होंने अवतार लिए. भगवान शिव के ये सभी अवतार इस प्रकार है.. 

1. वीरभद्र अवतार 

भगवान शिव ने सबसे पहले वीरभद्र अवतार धारण किया था. शिवपुराण में वर्णित कथा के अनुसार... 

एक बार दक्ष ने भगवान शिव का उपहास करना शुरू किया जिसे देखकर देवी सती बहुत क्रोधित हो गई और वो यज्ञ के अग्नि में कूद गई और सती हो गई. इस बात से भगवान शंकर अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी एक जटा उखाड़ कर कैलाश पर पटक दी उसी से भवन वीरभद्र का जन्म हुआ और वीरभद्र ने प्रजपति दक्ष का सर काट कर उसका वध कर दिया. इस प्रकार भगवान शिव ने प्रथम बार वीरभद्र रूप में प्रकट हुए. 


2. पिप्पलाद अवतार 

शिवमहापुराण के अनुसार भगवान शंकर का दूसरा अवतार पिप्पलाद था. इस अवतार में भगवान शिव महर्षि दधीचि का पुत्र बनकर जन्म लेते है और महर्षि दधीचि समाधी धारण कर लेते. तब उनकी मृत्यु हो जाती है. पिप्पलाद इस प्रश्न का जवाब लेने के लिए जब देव लोग गए कि आखिर मेरे पिता महर्षि दधीचि इतनी जल्दी  कैसे मर गए तब देवताओं ने उनसे कहा कि शनि देव की कुदृष्टि की वजह से ऐसा हुआ हैं. तब पिप्पलाद शनि देव को तुरंत सौरमंडल से नीचे गिर जाने का श्राप दे दिया और शनि देव नीचे गिरने लगे. लेकिन सभी देवताओं ने भगवान पिप्पलाद की स्तुति की तब उन्होंने शनि देव से कहा आप अगर वचन दे की जन्म से लेकर 16 तक की आयु तक किसी पर कुदृष्टि नहीं डालेंगे तब हीका ये श्राप मिट सकेगा. शिवमहापुराण के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने ही इनका नामकरण किया था. 


3. नंदी अवतार 

शिलाद मुनि ब्रह्मचारी थे और अपने वंश को आगे बढ़ने के लिए अपने पितरों के कहने पर उन्होंने भगवान शिव की आराधन की. भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए तब शिलाद मुनि ने उनसे एक महाबलशाली और चिरायु पुत्र की कामना की. भगवान शिव ने उन्हें ऐसा वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए. कई सालों बाद जब वो हल चला रहे थे तब उन्हें भूमि से एक पुत्र की प्राप्ति हुए और उन्होंने उसका नाम नंदी रखा. बाद में नंदी को भगवान शिव का प्रधान गणाध्यक्ष नियुक्त किया  गया और नंदी नंदेश्वर बन गए. 


4. काल भैरव 

भगवान शिव के इस अवतार को उनका पूर्ण अवतार माना जाता है. शिवपुराण के अनुसार एक दिन ब्रह्म और विष्णु आपस में झगड़ रहे थे तभी वहाँ काल भैरव जी प्रकट हुए तब ब्रह्मा जी ने उसने कहा, हे चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो. इस बात से भगवान शंकर को क्रोध आ गया और काल भैरव ने अपने नाख़ून से ब्रह्मा का पाँचवां सर काट दिया और इसके बाद उन्हें ब्रह्मा हत्या का पाप लगा और काशी में उन्हें इससे मुक्ति मिली. कशी नगरी भगवान शिव की प्यारी नगरी है. यहाँ पर आने वाले के सभी पाप धुल जाते है. 


5. अश्वत्थाम अवतार 

महाभारत के गुरू द्रोणाचर्य का पुत्र अश्वत्थाम भगवान शंकर, काल, यम और क्रोध का अंशावतार माना जाता है, भगवान शिव की उपासना के बाद द्रोणाचार्य के घर भगवान शिव का सात्विक अंश पुत्र रूप में उनके यहाँ जन्म लिया था. कहा जाता है अश्वत्थाम आजम और अमर था और वो आज भी पृथ्वी पर जीवित है. 


6. शरभावतार 

भगवान शंकर ने ये अवतार विष्णु भगवान के नरसिंह अवतार के क्रोध को शांत करने के लिए उन्होंने ये रूप धारण किया था. पुराणों के अनुसार भगवान शिव इस अवतार में आधा मृग (हिरन) था आधा हिस्सा शरभ पक्षी के रूप में थे जिसके आठ पैर थे और ये सिंह से भी ज्यादा शक्तिशाली था. हिरणकश्यपु का वध करने के बाद भगवान नरसिंह बहुत क्रोधित हो हो गए थे तब शंकर जी ने ये अवतार लेकर उनको अपनी पूछ में लेकर उड़ गए थे. 


7. गृहपति अवतार 

भगवान शिव का ये सातवां अवतार था. भगवान शिव ने मुनि विश्वानर और उनकी पत्नी शुचिष्मति के यहाँ जन्म लिया था और ब्रह्मा ने ही इनका नामकरण गृहपति किया था. एक दिन मुनि विश्वानर की पत्नी ने उनसे शिव के सामान पुत्र पाने की अभिलाष व्यक्त की. जिसके बाद मुनि ने शिवलिंग की पूजा की एक दिन उन्हें उस शिवलिंग में एक बाकल दिखाई दिया और उन्होंने उस बाल रूपी शिव की आराधन की. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उनके यहाँ जन्म लिया था. 


8. ऋषि दुर्वासा 

इस सृष्टि के सबसे क्रोधित ऋषि कहे जाने वाले ऋषि दुर्वासा भी भगवान शिव के अंशावतार थे. जिन्होंने कई सारे राजा महाराज और देवराज इंद्र तक को कई सारे श्राप दिए है. सती अनुसुइया के पीटीआई महर्षि अत्रि ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की उपासना की और उनके सामन तेजस्वी और गुनी पुत्रों की कामना की. तब तीन ने उनके घर में जन्म लिया और ब्रह्मा जी चंद्रमा के रूप में, विष्णु जी दत्तात्रेय और भगवान शिव ने ऋषि दुर्वासा के रूप में जन्म लिया. 


9. हनुमान अवतार 

भगवान शिव के सभी अवतारों में महाबली हनुमान का अवतार सबसे श्रेष्ठ माना गया है. इस अवतार में भगवान शंकर ने वानर के रूप में जन्म लिया था तथा अयोध्या के राजा प्रुभ श्रीराम के अनन्य भक्त के रूप में ख्याति प्राप्त की. उन्होंने ही लंका जलाकर सीता की खोज लगाई थी.  भगवान शिव की कृपा से सप्तऋषियों के संकल्प से माता अंजनी के गर्भ से बालक का जन्म हुआ जिसे हनुमान के नाम से जाना गया. 


10. वृषभ अवतार 

कहा जाता है जब विष्णु जी पाताल लोक नरकासुर का वध करने गए तब वहाँ कई साड़ी स्त्रियाँ उन पर मोहित हो गई जिनसे विष्णु के कई पुत्र हुए. इस विष्णु पुत्रों ने पाताल लोक से पृथ्वी तक खूब उपद्रव मचा दिया. तब ब्रह्मा जी की प्रार्थना स्वीकार कर शिव जी ने वृषभ अवतार धारण किया और उसके बाद उन्होंने उन सभी का संहार किया. 


11. यतिनाथ अवतार 

भगवान शंकर ने एक बार अपने अनन्य भक्त जो की अर्बुदांचल पर्वत के समीप रहते थे उनकी परीक्षा लेने के लिए अतिथि के वेश में आहुक-आहुका नाम के दो भील दम्पति के घर यतिनाथ के अवतार में गए. अतिथि के सत्कार के लिए आहुक उनके लिए शिकार पर गया लेकिन सुबह जब शिव शंकर ने ये देखा की उसे जंगली जानवरों ने मार दिए है तब उनको बहुत दुःख हुआ और उसकी पत्नी को अगले जन्म में फिर अपने पति से मिलने का वरदान दिया. 


12. कृष्णदर्शन अवतार 

भगवान शिव का ये अवतार यज्ञ आदि का धार्मिक महत्व बताने के लिए जाना जाता है. 


13. अवधूत अवतार 

भगवान शिव ने देवराज इंद्र के अहंकार को नष्ट करने के लिए अवधूत अवतार धारण किया था. एक बार इंद्र और देवगुरु बृहस्पति महादेव के दर्शन के लिए कैलाश जाने का निर्णय लिए.  तब रास्ते में भगवान शिव ने अवधूत अवतार में इंद्र का मार्ग रोक लिया और इंद्र ने क्रोध में आकर उन पर अपना वज्र चला दिया. परन्तु शिव शंकर की माया से उनका हाथ वहीं पर स्तंभित हो गया तब देवगुरु बृहस्पति ने भगवान शंकर को पहचान लिया. उनकी खूब आराधना की तब आजकर इंद्र को शिव ने क्षमा किया. 


14. सुरेश्वर अवतार 

भगवान शिव ने एक छोटे बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर ये अवतार लिया था और उसे परम भक्ति तथा अमर होने का वरदान दिया था. 


15. किरात अवतार 

भगवान शिव ने ये अवतार पाण्डुपुत्र अर्जुन की परीक्षा लेने के लिए लिया था. अपने गुप्तवास के समय अर्जुन ने श्रीकृष्ण के कहने पर महादेव की उपासना करके उनसे पाशुपतास्त्र प्राप्त किया था. इस अवगत में उन्होंने एक भील कबीले के मुखिया के रूप में अवतार लेकर अर्जुन से कई वर्षों तक युद्ध किया और अंत में उनसे प्रसन्न होकर उन्हें अपने असली रूप में दर्शन दिया. 


16.सुनटनर्तक अवतार 

भगवान शिव ने पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती का हाथ मांगने के लिए ये रूप धारण किया था. पर्वतराज से जब भगवान शंकर ने उनकी पुत्री का हाथ इस भेष में माँगा तब उन्हें बहुत क्रोध आया लेकिन शिव के असली रूप का दर्शन करने के बाद उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह उसने कर दिया. 


17. भिक्षुवर्य अवतार 

विदर्भ नरेश सत्यरथ और उनकी गर्भवती पत्नी के वध के बाद उनके पुत्र की रक्षा के लिए भगवान शिव स्वयं भिक्षुक अवतार में प्रकट हुए था उस नन्हें शिशु की रक्षा की. 


18. ब्रह्मचारी अवतार 

सती के प्राण त्यागने के बाद अगले जन्म में जब वो पर्वतराज हिमालय के घर पार्वती रूप में जन्मी तब शिव ने ब्रह्मचारी का रूप धारण कर उनकी परीक्षा ली. उनके सामने शिव की निंदा करने लगे. तब देवी पार्वती क्रोधित हो गई और अपने प्रति प्रेम और समर्पण देखकर उन्होंने देवी को साक्षत दर्शन दिया. 


19. यक्ष अवतार

समुन्द्र मंथन में निकले अमृत का पान करके सभी देवताओं को ये अहंकार हो गया कि वो सबसे शक्ति शाली है तब उनके घमंड को तोड़ने के लिए शिव ने यक्ष रूप धारण कर उन सभी एक घमंड तोड़ा था.