अनोखा ख़त

एक बार बादशाह अकबर अपने मंत्रियों से पूछने लगे की सबसे अच्छी सल्तनत कौन सी हैं और सबसे अच्छा राजा कौन हैं? सभी ने सिर्फ एक ही नाम लिया और कहा, महाराज आप से अच्छा कोई राजा नहीं हो सकता और आपकी सल्तनत भी सबसे अच्छी सल्तनत हैं. यहाँ पर हर कोई ख़ुश हैं, आप बहुत बहदुर हैं. आपकी ही सल्तनत सबसे अच्छी सल्तनत हैं.

हर कोई बादशाह की चापलूसी करने लगा. लेकिन बीरबल ने खड़े होकर कहा, बेशक आप एक अच्छे सम्राट हैं लेकिन ये जरुरी नहीं आप ही सबसे बेहतर शासक हैं. कई और सल्तनते है जो कुछ मायने में अच्छे हैं और कोई भी राजा या साम्राज्य कभी भी बेहतर नहीं हो सकती उसमें कुछ न कुछ कमियां होती ही हैं. 

इस बात में सभी मंत्रियों ने अकबर को बीरबल के ख़िलाफ़ भड़का दिया और उसके बाद उन्होंने बीरबल को अपने राज्य से निकाल दिया. बीरबल अपना घर छोड़कर लम्बी यात्रा पर चले गए. अगले दिन बादशाह अकबर को अपनी गलती का बोध हुआ और उन्हें समझ में आ गया की आखिर बीरबल सही का रहा था. इसलिए उन्होंने अपने दरबारी को हुकुम दिया की वो जाकर बीरबल को सम्मान के साथ लेकर आ जाये. लेकिन जब दरबारी गया तो उसे बीरबल नहीं मिले और उसने आकर अक़बर को इस बात के बारे में बता दिए. अकबर अब और भी परेशान हो गए वो उदास रहने लगे. बीरबल को राज्य से गए 3 महीने हो गए लेकिन उसका कोई खोज ख़बर नहीं थी इसलिए अब बादशाह का मन भी राज दरबार में नहीं लग रहा था. 

एक दिन उन्होंने अपने मंत्रियों से कहा, हमें बीरबल को ढूढ़ने के लिए एक योजना बनानी होगी. बीरबल बहुत चालक है, वो किसी न किसी राज्य में किसी राजा के पास होगा इसलिए हम सभी राजाओं को एक ऐसा ख़त लिखेंगे जिसका जवाब सिर्फ बीरबल ही दे सकता हैं. एक ख़त ईरान के शहंशा के पास भी गया, उन्होंने अपने सभी दरबारियों से उस ख़त का मतलब बताने के लिए कहा. लेकिन कोई भी उसका उत्तर नहीं दे पाया. इसके बाद उन्होंने बीरबल को उस ख़त को दिया जिसमें लिखा था, ''हिंदुस्तान के बादशाह अकबर अपने राज्य के सभी झीलों का विवाह आपके राज्य के नदियों से करना चाहते हैं.''

बीरबल ने उस ख़त जवाब एक और ख़त लिखकर हिंदुस्तान भेज दिया और जब अकबर ने ये पढ़ा कि, '' हम आपके प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं लेकिन हमारी एक शर्त है. आप अपने राज्य के सभी कुओं से कहिये की वो राज्य की सीमा पर बारातियों के स्वागत के लिए खड़े हो जाये.'' 

अकबर तुरंत बिना देरी किये ईरान गए और वहाँ से बीरबल को बड़े ही आदर सत्कार के साथ वापस लेकर हिंदुस्तान आ गए.