शैतान जुलाहा और वनदेवी

शैतान जुलाहा और वनदेवी Shaitan Julaha Aur Vandevi

जापान के एक गाँव में एक बहुत ही मेहनती जुलाहा रहता था जो कपड़े बनाकर अपना जीवन यापन करता था. वो उस गाँव में अपनी पत्नी के साथ रहता और तरह तरह के कपड़े बनाकर उन्हें बाजार में बेचने ले जाता था. उसके बनाएं सारे कपड़े बिक जाते और वो शाम को अच्छे पैसे लेकर वापस आ जाता और अगली सुबह फिर से कपड़े बनाकर बाजार में बेचने चला जाता.

शैतान जुलाहा और वनदेवी

 इस तरह कई महीनें गुज़र गए, एक दिन उसे बाजार से आते हुए लेट हो गया और अपने गाँव जल्दी पहुंचने के लिए  वह जंगल वाले छोटे  रास्ते से जाने के लिए तैयार हो गया. रात हो रही थी और जंगल में बहुत अँधेरा था वो जल्दी जल्दी अपनी गाँव की तरफ बढ़ रहा था की उसने पीछे से एक आवाज़ सुनी जो उसे ही बुला रही थी. पहले तो वह डर गया लेकिन कुछ देर बाद उसे लगा की वो भूत नहीं कोई औरत हैं और उसने रुककर पीछे देखा तो उसके होश उड़ गए. उसके सामने एक बहुत ही सुंदर औरत कड़ी थीं  साक्षात देवी माँ की तरह. फिर उस औरत ने उससे कहा कि मैं इस वन की देवी हूँ. आज बहुत सालों बाद इस रास्ते से कोई इंसान जा रहा हैं ये देखकर मैं तुम्हारी साहस और बहादुरी पर बहुत प्रसन्न हो गई और तुमसे मिलने चली आई. साथ ही साथ मुझे तुम्हारे थैले में पड़ा वो आख़िरी कपड़ा भी बहुत पसंद आ गया हैं, क्या तुम मुझे उसे दे सकते हो? जुलाहा बहुत खुश हुआ और उसने तुरंत वो कपड़ा निकालकर वनदेवी को दे दिया. 

वनदेवी ने बदले में उस जुलाहे को एक वरदान देने का वादा किया. लेकिन जुलाहा क्या वरदान मांगे ऐसा सोचकर उसने वनदेवी से कहा, हे देवी मुझे आप कृपया एक दिन की मौहलत दे मैं अभी सोच नहीं पा रहा हूँ की क्या वरदान मांगू इसलिए मैं कल आके आपसे वरदान मांग लूंगा तबतक मैं सोच भी लूंगा. वनदेवी मान गयी और फिर जुलाहा अपने घर चला आया. उसी रात उसने अपने दोस्त से इस बार में बात की और उससे सारा हाल कह सुनाया. तब उसके दोस्त ने उसे सलाह दी कि तुम देवी से राज्य मांग लो और फिर तुम राजा और मैं मंत्री दोनों साथ रहेंगे. जुलाहे ने कहा ठीक हैं मैं एक बार अपनी बीवी से बात कर लूँ और घर आ गया. उसने अपने बीवी से सारा क़िस्सा कहने के बाद पूछा कि मुझे वनदेवी से क्या माँगना चाहिए? तब उसकी बीवी ने कहा, राज्य लेकर हम क्या करेंगे? और वैसे भी राजा तो बदलते रहते हैं, कल तुम होंगे तो परसों कोई और.. इसलिए मैं कहती हूँ की तुम तो वनदेवी से दो हाथ और मांग लो जिससे तुम ज़्यादा कपड़ा बना सकोगे और फिर अच्छा रहेगा. जुलाहा भी मान गया और अगली सुबह वनदेवी के पास जाकर बोला, हे वनदेवी मुझे आप दो हाथ और दो सिर दे दीजिये ताकि मैं  ज़्यादा और जल्दी कपड़े बना सकूँ. देवी ने उसकी बात मान ली और उसे तुरंत, दो हाथ दो सिर होने का वरदान दे दिया. अब जुलाहे के पास चार हाथ और दो सिर हो गए जब वो अपने गाँव आया तो गाँव वालों ने उसे शैतान समझकर पत्थर से मार मार के उसकी हत्या कर दी और वो जुलाहा मर गया. 


कहानी से सीख:  

हमें कोई भी फैसला लेने से पहले उसके बाद होने वाले भावी परिणामों के बारे में जरूर सोच लेना चाहिए.