सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

Suryakant Tripathi Nirala Biography सूर्यकान्त त्रिपाठी

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' 

सूर्यकान्त त्रिपाठी हिंदी साहित्य के छायावादी लेखकों के महाप्राण निराला हैं. इनकी रचनाएँ मानव समाज को हर वक़्त आईना दिखती हुई प्रतीत होती हैं. 


इनकी कविता भिक्षुक छायावाद की बेहतरीन कृतियों में से एक हैं. 

वह आता

दो टूक कलेजे को करता, पछताता

पथ पर आता.

पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,

चल रहा लकुटिया टेक,

मुट्ठी भर दाने को — भूख मिटाने को

मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता 

दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता.

साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,

बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते,

और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाए. 

भूख से सूख ओठ जब जाते

दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?

घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते. 

चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,

और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए !

ठहरो ! अहो मेरे हृदय में है अमृत, मैं सींच दूँगा

अभिमन्यु जैसे हो सकोगे तुम

तुम्हारे दुख मैं अपने हृदय में खींच लूँगा.. 


इस कविता के माध्यम से निराला जी ने समाज में रह रहे गरीब और उन लोगों की दयनीय दशा को अपने शब्दों और लेखन शैली से जीवंत कर दिया.  जिस तरह से इन्होंने एक निर्धन, निःसहाय भिखारी की दशा को अपने शब्दों के माध्यम से पिरोकर प्रस्तुत किया हैं इसी शैली ने इन्हें छायावाद का महाप्राण निराला बना दिया. 

 इनका जन्म बंगाल की महिषादल रियासत जिला मेदिनीपुर में  21 फ़रवरी, सन् 1899 में हुआ था. इनके पिता पंडित रामसहाय तिवारी उन्नाव (बैसवाड़ा) के रहने वाले थे और महिषादल में सिपाही की नौकरी करते थे. वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गढ़ाकोला नामक गाँव के निवासी थे और  निराला जी की शिक्षा हाई स्कूल तक हुई.  निराला जी की पहली  कविता संग्रह अनामिका नाम से 1923 में प्रकाशित हुई और इनका पहला निबंध बंग भाषा मासिक पत्रिका सरस्वती में 1920 में छपा.  सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी ने वर्ष 1918 से 1922 तक बंगला के  महिषादल में ही नौकरी किया.इसके बाद वो स्वतंत्र लेखन और संपादन करने लगे. साल 1923 में इन्होंने मतवाला पत्रिका के संपादन समूह के सदस्यों के साथ काम किया. 

महादेवी वर्मा के साथ इनकी बहुत अच्छी मित्रता थी और ये उन्हें दीदी कहकर सम्बोधित करते थे. ये अक्सर उनसे मिलने इलाहाबाद उनके आवास पर जाते रहते थे. 

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी  का 15 अक्टूबर 1961 को इलाहबाद में निधन हो गया.


प्रकाशित कृतियाँ

काव्यसंग्रह

  • अनामिका
  • परिमल 
  • गीतिका 
  • तुलसीदास 
  • कुकुरमुत्ता 

उपन्यास

  • अप्सरा 
  • अलका 
  • प्रभावती 
  • निरुपमा 
  • कुल्ली भाट

कहानी संग्रह

  • लिली 
  • सखी 
  • सुकुल की बीवी 
  • चतुरी चमार 
  • देवी