श्रीमद्भगवत गीता से जरूर सीखना चाहिए ये 5 जरुरी बातें

5 Important things to learn from Shrimad Bhagavad Gita

श्रीमद्भगवत गीता सनातन हिन्दू धर्म की सबसे पवित्र किताब मानी जाती हैं. जिसमें कही गयी बातों का अगर आप अपने जीवन में अनुकरण करते हैं, तो आपका भविष्य सवंर जायेगा. 

साथ ही आपके जीवन में एक नई चेतना के साथ खुशहाली और समृद्धि का आगमन होगा. इस धर्म ग्रंथ में कई ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताई गयी हैं. जो मानव जीवन से सभी जुड़ी समस्याओं से को हल करने में सहायक हैं. ऐसे कहा गया हैं कि इंसान के सारे सवालों का जवाब इस किताब में स्वयं भगवान श्रीहरि विष्णु ने दिया हैं. तो आइए जानते हैं गीता के उन 5 जरुरी बातों के बारे में.... 

जीवन के लिए संघर्ष बहुत जरुरी है 

श्रीमद्भगवत गीता में इस बात को स्पष्ट रूप से बताया गया है कि मानव जीवन में संघर्ष एक सतत प्रक्रिया हैं. उसे जीवन के अंत तक संघर्ष करते रहना होता है. जिस तरह पांडवों, भीष्म, कर्ण और द्रोणाचार्य ने जीवन के अंत तक संघर्ष किया. बिना संघर्ष के इंसान को कुछ प्राप्त नहीं होता हैं. वो अपने कठिन परिश्रम के बल पर ही चीजों को प्राप्त करता है. साथ ही गीता ये भी कहती हैं कि कर्म करना ही सिर्फ मनुष्य के वश में होता है. इसके बाद उसे फल की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि कर्मफल तो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर होता हैं. इसलिए आप भी अपने जीवन में इस बात को उतार लें कि जीवन में संघर्ष का कोई विकल्प नहीं है. आपको जीवनभर संघर्ष पथ पर चलना होता हैं. 

स्वयं निर्णय लेने की क्षमता 

गीता और महाभारत में ये चीजें स्पष्ट देखने को मिलती है कि कई सारे बड़े से बड़े योद्धा भी अपना निर्णय स्वयं नहीं ले पाते हैं. जिसकी वजह से वो निर्णय लेने के लिए भी दूसरों पर आश्रित होते हैं. ऐसे में जो भी निर्णय वो लेते है उसका परिणाम उनके नियंत्रण में नहीं रहता हैं. जैसे दुर्योधन स्वयं अपने फैसले नहीं ले सकता था. वो हर बार किसी दूसरे पर निर्भर रहता था. जिस कारण से परिणाम हमेशा उसके प्रतिकूल रहते थे. इसलिए आपको अपने निर्णय स्वयं लेने की क्षमता विकसित करनी चाहिए. ताकि आप उसके परिणामों के लिए सजग और तैयार रहे. 

डर इंसान का शत्रु होता है 

महाभारत में ये चीज स्पष्ट दिखाया गया है कि जो इंसान डरता हैं. वो काफी ज्यादा कमजोर होता है. अपने डर की वजह से वो स्वयं के लिए कई सारी चीजें बर्बाद कर लेता हैं. जैसे धृतराष्ट्र को अपनी राज गद्दी छीन जाने का भय था. दुर्योधन को युद्ध हार जाने का डर था. ऐसे में डर को इंसान का शत्रु माना गया है. इसलिए अगर आप भी सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको भी डर से मुक्त होना होगा. तभी जाकर आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है. 

सही फैसला लेना 

धर्मराज युधिष्ठिर चाहते तो सही समय पर सही फैसला लेकर अपनी सम्पत्ति, अपने भाइयों और द्रोपदी को दांव पर लगाने से बच सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. जिसका परिणाम उनके अधिकार क्षेत्र से काफी दूर निकल गया और इसने ही महाभारत जैसे भीषण महायुद्ध का सृजन किया. इसलिए मनुष्य को सही समय पर सही फैसले ले लेने चाहिए. 

सलाह हमेशा अपने सच्चे हितैषी से ले 

कई बार लोग असमंजस में फंस जाते हैं. वो सही और गलत का फैसल नहीं ले पाते है. जिसकी वजह से उन्हें काफी ज्यादा दुविधा होने लगती हैं. जैसे महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को हुई थी. तो उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से सलाह मांगी थी. इसलिए आप भी जब किसी भी दुविधा में फंस जाये तो हमेशा अपने सच्चे हितैषी से ही सलाह लें क्योंकि वो आपको सुमार्ग पर ले जायेगा.