हमने भी बहुत दिल लगा कर देख लिया हैचलो थोड़ी दिल्लगी भी कर लेजहां वफ़ा नहीं जीत सकीथोड़ी बेवफाई ही आज़मा ले
हमने भी बहुत दिल लगा कर देख लिया है
चलो थोड़ी दिल्लगी भी कर ले
जहां वफ़ा नहीं जीत सकी
थोड़ी बेवफाई ही आज़मा ले
मेरी इबादतों को ऐसे कर कबूल ऐ मेरे खुदा,
के सजदे में मैं झुकूं तो मुझसे जुड़े हर रिश्ते की जिंदगी संवर जाए..!!
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.
मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ।
ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को…बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे होते हैं….!!