इश्क़ वही है जो हो एकतरफा हो
इज़हार-ऐ-इश्क़ तो ख्वाहिश बन जाती है
है अगर मोहब्बत तो आँखों में पढ़ लो ज़ुबान से इज़हार तो नुमाइश बन जाती है
अब तुझे न सोचू तो, जिस्म टूटने-सा लगता है..
एक वक़्त गुजरा है तेरे नाम का नशा करते~करते !
बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म,जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम।
पत्नी :- डार्लिंग सुनते हो मेरी उम्र 48
होते हुए भी आपका एक दोस्त मेरे
"हुस्न की तारीफ" करता है..
पति :- उस्मान भाई होगा..
पत्नी :- आपने कैसे पहचाना...?
पति :- वो साला कबाड़ का व्यापारी हैं..!
😂😂😂😂😂
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.