क्या ऐसा नहीं हो सकता?
हम प्यार मांगे और तुम,
गले लगा कर कहो,
और कुछ?
कागज़ पे लिखी गज़ल, बकरी चबा गयी !
चर्चा पुरे शहर में हुई, की बकरी शेर खा गयी.
जब भी करीब आता हूँ बताने के लिये,जिंदगी दूर रखती हैं सताने के लिये,महफ़िलों की शान न समझना मुझे,मैं तो अक्सर हँसता हूँ गम छुपाने के लिये।
उनका भी कभी हम दीदार करते है,उनसे भी कभी हम प्यार करते है,क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी,पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते है..!!
लम्हे वो कुछ खास होते है…तू जो मेरे पास होती है…बाहों में तेरा कुछ होता ऐसा एहसास है..डेरी मिल्क और पार्क की जो मिठास है…!