इकरार करने में शब्दों का होना लाज्मी नहीं
दिल के जज्बात ही काफी हैं
आंखें बयान कर देती हैं दिल की दास्तान,
मोहब्बत लफ्जों की मोहताज़ नही होती
अगर मुसीबतें है तो मुस्कुरा के चल,
आँधियों को पैरों तले दबा के चल,
मंजिलों की औक़ात नही तुझसे दूर रहने की,
विश्वास इस क़दर खुद में जगा के चल.
Kabhi Ji Bhar Ke Barasna, Kabhi Bond Bond Ke Liye Tarasna,Ay Barish Teri Aadatein Mere Yaar Jesi Hain…!
इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद,
मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद!!
Na Samajh Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,,
Qasam tumhari tumhen itna pyar karte hain..