"क्या कहा, क्या समझा गया,क्या समझा, क्या कहा गया,मोह्हबत घूमती इन किनारों पे,जो कहा गया, ना कभी समझा गया l"
धोखा ना देना कि तुझपे ऐतबार बहुत है,
ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है,
तेरी सूरत ना दिखे तो दिखाई कुछ नहीं देता,
हम क्या करें कि तुझसे हमें प्यार बहुत है।
तेरी Lovely आँखों ने
मुझपे ऐसा Effect किया,
की दिल ने सबको छोड़ के
तुझको ही Select किया !!
ना तलवार की धार से ना गोलियों की बौछार से, बंदा डरता है तो सिर्फ अपने बाप की मार से।
तुझको खुदा ने रुक-रुक बनाया,
पूरी ज़माने की खुदाई तुझ में ही भर दी,
हर अंग तेरा जैसे ,
रह-रह तू बरसे सावन महीना…