तुम्हें हुस्न पर दस्तरस है बहोत, मोहब्बत वोहब्बत बड़ा जानते होतो फिर ये बताओ कि तुम उसकी आंखों के बारे में क्या जानते हो?
ये ज्योग्राफियाँ, फ़लसफ़ा, साइकोलोजी, साइंस, रियाज़ी वगैरहये सब जानना भी अहम है मगर उसके घर का पता जानते हो?
हमारे हर सवाल का सिर्फ एक ही जवाब आया,
पैगाम जो पहूँचा हम तक बेवफा इल्जाम आया।
उसने कहा चले जाओ
मेरी ज़िन्दगी से,
मेने कहा कौन हो तुम
भाईसाहब!!
Naa zaroorat hai chaand-sitaron ki,Naa zaroorat hai faltu yaaron ki,Ek dost chahiye apke jaisa,Jo watt laga de Hazaron ki…
लोग पूछते हैं की तुम क्यूँ अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करते,
हमने कहा जो लब्जों में बयां हो जाये
सिर्फ उतना हम किसी से प्यार नहीं करते…!!!