मुझे आदत नहीं
यूँ हर किसी पे मर मिटने की
पर तुझे देखकर दिल ने
सोचने तक की मोहलत ना दी
मेरे दिल में एक धड़कन तेरी हैं,
उस धड़कन की कसम तू ज़िन्दगी मेरी है,
मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी हैं,
जो कभी सांस जो रुक जाए तो मौत मेरी हैं
फिर से मिले वो आज अजनबी से बनकर,और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई।
क़सूर उनका नहीं,जो मुझसे दूरियाँ बना लेते है….
रिवाज है ज़माने में,पढ़ी किताबें ना पढ़ने का.....
तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे,
मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो।