गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के
हम आज भी शतरंज़ का खेलअकेले ही खेलते हे ,क्युकी दोस्तों के खिलाफ चालचलना हमे आता नही ..।
बातो बातो मैं दिल ले जाते हो,देखते हो इस तरह जान ले जाते हो,अदाओ से अपनी इस दिल को धरकाते हो,लेकर बाहों मै – सारा जहाँ भुलाते हो.
Main uske haathon ka khilona hi sahi;
kuch der ke liye hi sahi, usne mujhe chaha to hai..
“नही है हमारा हाल,
कुछ तुम्हारे हाल से अलग,
बस फ़र्क है इतना,
कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते.”