गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के
उसने पूछा सबसे ज्यादा क्या पसंद है तुम्हे
मैं बहुत देर तक देखता रहा उसे
बस ये सोचकर कि
खुद जवाब होकर उसने सवाल क्यूँ किया…!!
मुझे सहल हो गई मंजिलें वो,
हवा के रुख भी बदल गये,
तेरा हाथ, हाथ में आ गया,
कि चिराग राह में जल गये।
बम भोले डमरू वाले शिव का प्यारा नाम है
भक्तो पे दर्श दिखाता हरी का प्यारा नाम है
शिव जी की जिसने दिल से की है पूजा
भगवान् शंकर ने सवारा उसका काम है !
इत्तेफाक से तो नहीं,
हम दोनों टकराये
कुछ तो साजिश
खुदा की भी होगी