Ab chhod diya hai
ishq ka school hamne bhi,
Humse ab mohabbat ki
fees ada nahi hoti !
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा
Kitna pyar karte hai hum unse,
Kaash unko bhi yeh ehsaas ho jaye,
Magar aisa na ho ke woh hosh mein tab aaye,
Jab hum gehri neend mein so jaye…
इकरार में शब्दों की एहमियत नही होती,
दिल के जज़बात की आवाज़ नही होती,
आँखें बयान कर देती हैं दिल की दास्तान,
मोहब्बत लफज़ो की मोहताज़ नही होती!
गुज़रे दिनों की भूली हुई बात की तरह,आँखों में जागता है कोई रात की तरह,उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो,वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।