मिर्ज़ा ग़ालिब:हमें तो अपनों ने लूटागैरो में कहाँ दम थाअपनी कश्ती वहां डूबीजहां पानी कम थाग़ालिब की पत्नी:तुम तो थे ही गधेतुम्हारे भेजे में कहाँ दम थावहां कश्ती लेकर गए ही क्योंजहाँ पानी कम था!!
लोगों ने कुछ दिया
तो सुनाया भी बहुत है,
हे माँ दुर्गे !
एक तेरा ही दर है
जहाँ मुझे कभी ताना नहीं मिला
तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत….
ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोच कर गुज़ार दी……
टीचर: इतने दिनों से कहां थे?
पप्पू: सर बर्ड फ्लू हो गया था।
टीचर: लेकिन यह तो बर्ड्स को होता है,
तुम्हें कैसे हुआ?
पप्पू (गुस्से में) : आपने इंसान समझा ही कब है?
रोजाना मुर्गा बनाते हो
😝😝😝😝🤣🤣