तेरी यादों की खुशबू से हम महकते रहते हैं,
जब जब तुझको सोचते हैं हम बहकते रहते हैं…
जागना भी कबूल हैं तेरी यादों में रात भर,
तेरे एहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहा
सुन पगली
अकेले हम ही शामिल नहीं है इश्क की जुर्म में
जब नज़रे मिली थी तो तू भी मुस्कुराई थी
इक डूबती धड़कन की सदा लोग ना सुन ले…
कुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और…
कांटे किसी के हक में किसी को गुलो-समर,
क्या खूब एहतमाम-ए-गुलिस्ताँ है आजकल।
जान ले लेगी अब ये ख़ामोशी,क्यूँ ना झगड़ा ही कर लिया जाये..!