इक डूबती धड़कन की सदा लोग ना सुन ले…
कुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और…
वह अपने करम उँगलियों पर गिनते हैं,
पर ज़ुल्म का क्या जिनके कुछ हिसाब नहीं
हम दूर तक यूँ ही नहीं पहुंचे ग़ालिब ,
कुछ लोग कन्धा देने आ गए थे...
ठण्ड में वादा नही करते कि दोस्ती निभायेंगे,
जरूरत पड़ी तो सब कुछ ले लो,
पर रजाई न दे पायेंगे....
लोगों ने पूछा कि कौन है वोह
जो तेरी ये उदास हालत कर गया ??
मैंने मुस्कुरा के कहा उसका नाम
हर किसी के लबों पर अच्छा नहीं लगता …!
उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।