कागज़ पे लिखी कुछ लाइन ऐसी भी होती है,
किसी को हँसा और किसी को रुला जाती है,
लिखूँ जो काग़ज़ पे तो लफ़्ज़-लफ़्ज़ थरथराए…
कि तेरी धड़कन रहे मेरी हथेलियों के है दरमियाँ!
जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया
माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को
रात भी नींद भी
कहानी भी
हाए क्या चीज़ है
जवानी भी
तुम लौट कर आने की तकलीफ मत करना,
हम एक मोहब्बत दो बार नहीं करते !
ना जाने क्या अपनापन हैं तेरी बातों में,
के हर पल ये दिल… ❤
तुम्हें मिलने के लियें पागलपन करता हैं…