दास्तान सुनाओ और मजाक बनजाऊं बेहतर तो यह है कि थोड़ा सामुस्कुराओ और खामोश हो जाऊं..
जाऊं बेहतर तो यह है कि थोड़ा सा
मुस्कुराओ और खामोश हो जाऊं..
बड़ी मासूम सी लगती है,ये कार्तिक की भोर lलगता है ओढे आई एक चादर,मन लगता नाचे जैसे मोर l
जिनके लिए हम लिखते है ,अक्सर , उनको ही हम कुछ लिख नहीं पाते !!
इस बार भूले हो तुम भी कुछ,
याद दिलाऊंगा तुम्हें वो एक दिन l
तुम्हारी हर शिकायत का जबाब,
तुम्हारा भूलना होगा एक दिन l
कभी गुस्से में मुझे वो बहुत डाँटती है,ऐसा प्यार वो सबको नहीं बाँटती है l