मेरा दिल ...तो तुम्हारे शहर के नाम से ही धड़कने लगता है।
एक आवाज़, दिल को राहत दे गई,जल्दी बीते ये दिन चाहत दे गई l
तेरे होने से बोलने लगी थी दीवारें भी,हँसी निकलने लगी थी हर कोने से भी lअब ये आलम है की,मैं भी चुप हूँ,और सब खामोश है l
"जो आज है,वो कल नहीं होगा,तेरे-मेरे मिलने का सिलसिला नहीं होगा,ना तुम रुठोगी, ना मैं मनाऊंगा,ये रोज-जीने मरने का सिलसिला नहीं होगा l"
Hum is kabil to nahi ke koi humein apna samjhega,
Lekin itna to yaqeen hai koi royega bahuat hume kho dene ke baad…