ख़ुदकुशी जुर्म भी है सब्र की तौहीन भी है,इस लिए इश्क में मर-मर के जिया करते हैं।
किस जुर्म में छीनी गई मुझसे मेरी हँसी?
मैने तो किसी का दिल दुखाया भी ना था
तोड़ दो ना वो कसम जो तुमने खाई है,
कभी कभी याद कर लेने में क्या बुराई है!
"एक दिन वो चाँद,कोई और तारा,ढूंढ लायेगा,तू रह जायेगा अकेला,वो किसी के साथ,टिमटिमायेगा l"
Good Night
मेरे दोस्तों ने इकट्ठा किया मेरे ही कत्ल का सामान,
मैंने उनसे कहा,
यारो तुम्हारी नफरत ही काफी थी मुझे मारने के लिए……
तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत….