मेरी पहचान आप से पापा…
क्या कहूं आप मेरे लिय क्या हो…
रहने को है पैरों के नीचे ये जमीन…
पर मेरे लिए तो मेरा आसमान आप हो.
Happy Father's Day
कल शाम की अंतिम मुलाकत ,
और सुबह तुमसे बात अच्छा लगता है l
हर बार तुमसे मिलना ,
पहली बार लगता है l
तुम्हें अपने आँगन के पेड़ की,याद नहीं आती..खिड़की पे जो मिलती थी नज़र,वो एहसास आँखों में नहीं आती l
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा
इंसानी जिस्म में सैंकड़ों हैवान देखे हैं,
मैंने दिल में रंजिश रख महफ़िल में आये मेहमान देखे हैं|”
Beshak tumne mujhe thukra diya hai,
Mat sochna ke humne tumhe bhula diya hai,
Teri chahat pe aaj bhi bharosa hai,
Ye to meri kismat ne mujhe daga diya hai..!!