मेरे अनकहे "अलविदा" को…
तुम्हारे फिर से मिलने का इंतज़ार हैं ।
तबाही की तस्वीर साफ़ दिखने लगी
पानी तो पानी हवा भी बिकने लगी
मेरी बहादुरी के किस्से कितने मशहूर थे इस शहर में,
पर तुझे खो जाने के डर ने मुझे कायर बना दिया...
उस मासूम शराब की मोहब्बत भी क्या खूब थी ।।
जालिम एक बार लबो पे लगी तो फिर कभी उसने बेवफाई ना की।।
काश तकदीर भी होती किसी जुल्फ की तरह…
जब जब बिखरती संवार लेते…
Main uske haathon ka khilona hi sahi;
kuch der ke liye hi sahi, usne mujhe chaha to hai..