जुल्फों में उसकी बीती मेरी सुबह
जुल्फों में ही उसकी मेरी शाम थी
और क्या बताऊ जिंदगी के बारे में
मेरी तो सारी उम्र बस उस ही के नाम थी…
सुबह की चाय,घर की बालकनीतुम्हारे य़ादों का साथ खास है lयही सिलसिला है रोज का ,तुमसे ही चाय की मिठास है l
दरारें मत आने दीजिए,चाहे रिश्ता हो या दीवारें,बाहरी हवा अक्सर वहीं..अपना रास्ता बना लेती है।
ज़िन्दगी चाहे लिख रही हो काजल के गीत...!. . ख्वाब पलकों पे हमारी सुनहरे ही रहते हैं...!!
वक़्त भी लेता है करवटें कैसी कैसी,
इतनी तो उम्र भी ना थी जितने सबक सीख लिए हमने..
Itne Lamhe Guzare Hai Tere Saath Humne
Ke Aaj Ek Lamha Tanha Guzarna Mushkil Hain.