" दो ही नशा है जो मैं करता नहीं,और बिन किये भी मैं रहता नहीं,एक चाय और एक तुम.. "
बातों ही बातों में कोई बात बुरी लग जाती है,इस लिए वो महीने में कई बार मुझसे लड़ जाती है lपूछता हूँ कि बात क्या है.. उसे भी याद नहीं,नाराज़ होती है फिर बात उसे कहाँ याद रह जाती है l
"मिल जायेगी बरसो पहले हो चुकी बेवफ़ा,पर आज शहर में साँसो को हवा ना मिलेगी l"
"नाराजगीं की उम्र बस इतनी है जाना,इधर तुमने हाथ पकड़ा, उधर मैं माना l"
"दो कदम के फासले से, इश्क़ में हम हार गये,एक उन से ना तय हो सका, एक हम ना कर सके l"
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है