बहुत कुछ कहना था,पर कैसे और क्या,ये समझ नहीं आया,तो हाँथ पकड़,उसने कहा 'बस',मैने भी साँसे रोक,ज़रा जोर से दबा दिया l
सर्दी और गर्मी के उज़्र नहीं चलते
मौसम देख के साहब इश्क़ नहीं होता
मुद्दत से एक रात भी अपनी नहीं हुई
हर शाम कोई आया उठा ले गया मुझे.
देखो रात फिर आ गयी
गुड नाईट कहने की बात फिर आ गयी
हम बैठे थे सितारों की पनाह में
चाँद को देखा तो आपकी याद आ गयी
Good Night Dear