तमाम हसरतों को आराम देकर,फिर बैठे हैं किसी कोने में चाय लेकर।
तेरी यादों में सुकून बहुत है,बीते लम्हों में प्यार बहुत है lबस यादशहर ऐसे ही बसा रहें,इस शहर में वो खास बहुत है l
"जो आज है,वो कल नहीं होगा,तेरे-मेरे मिलने का सिलसिला नहीं होगा,ना तुम रुठोगी, ना मैं मनाऊंगा,ये रोज-जीने मरने का सिलसिला नहीं होगा l"
"तुम्हारे साथ जिंदगी आसान लगती है,ऐसे जाने क्यों, बहुत परेशान लगती है l"
"हर झूठ मेरे मन से, ख़त्म होते जा रहे है,वो जाने कैसे मेरे सच के, करीब आ रहे है l"