रात का अंतिम ख्याल,सुबह की प्रार्थना सा,साथ रहती हो तुम l'हाँ' सपनों में नहीं आती,मुझे कभी-कभी सोने,भी नहीं देती हो तुम l
"अखिल प्रेम की कल्पना है यही,प्रेम की है जग में, सत्या जो सही,मौन की अपनी भाषा, होती प्रिय,प्रेम की बात तो, प्रेम से ही कही l"
ज़िंदगी से यही गिला है मुझेतू बहुत देर से मिला है मुझे
साँसों में तेरी खुशबु है, दिल में तू धड़कती है,
कैसे बताऊ तुझको मैं, तू कितना याद आती है।
कभी उनकी याद आती है,
कभी उनके ख्व़ाब आते हैं,
मुझे सताने के सलीके...
तो उन्हें बेहिसाब आते हैं…