याद आएगी हर रोज मगर तुझे आवाज न दूँगा,तेरे लिए हर गजल हर शायरी मगर तेरा नाम न लूँगा.
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर,कह भी देता हूँ और आवाज भी नहीं आती.
दिल को छू जाती है यूँ रात की आवाज़ कभी
चौंक उठते हैं कहीं तूने पुकारा ही न हो
दस्तक और आवाज तो कानों के लिए है…
जो रुह को सुनाई दे उसे खामोशी कहते हैं!
इंतजार हमेशा रहेगा तुम्हारा...
बस अब आवाज नहीं देंगे...❤️
तुम्हारी आवाज सुनने को, हर पल बेकरार रहता हूँ
नहीं करूंगा याद तुम्हें
मै खुद से हर बार कहता हूँ