जी चाहे कि दुनिया की हर एक फ़िक्र भुला कर,दिल की बातें सुनाऊं तुझे मैं पास बिठाकर।
वो आज भी मेरे Password में रहती है
जिसे भूलने का दावा मैं रोज करता हूँ
आफत है तेरे खत के फाड़े हुये पुर्जे,रख्खे भी नहीं जाते फेंके भी नहीं जाते..
गुस्सा ना जाने,सारा कहाँ खो गया lउसकी आवाज़ सुनी,मन फिर उसका हो गया l
और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है